धिन पंचो री न्यात, लेखक रामसा कड़ेला

लोगो री पंचायती ,
  करता रह दिन रात ।
    खुद री बाता निपटे न , 
       धिन पंचो री न्यात ।।

खाज खिणता खुंजा भरे , 
  कर अणहुती बात 
    निर्दोषी ने दोषी करै ,   
      धिन पंचो री न्यात ।।

ओंटा बेङी करता रहे ,   
  करै भायप री बात ।
   मोको पङिया बट काढे ,
     धिन पंचो री न्यात ।

नारेळा सु न्याय करै ,       
  करै घणो मे घात ।
    झूठा ब्यान साचा करे , 
    .  धिन पंचो री न्यात ।।

लखपतियो रै लागु नही ,    
  दे गरीब ने लात ।
    पोल माही ढोल घुरावे ,
   .   धिन पंचो री न्यात ।।

बहु बींदणी बेटा बेटी ,        
  घरै न माने बात ।
    ओरो घर हुक्म चलावे ,
       धिन पंचो री न्यात ।।

अपणो ठरको राखण सारु ,
  दिन गिणे न रात 
    तालर माही तंबू ताणे , 
       धिन पंचो री न्यात ।।

जर्दा बीङी अमल तंबाकु , 
  डोडा.री जमात ।
    खेंगारा कर करै हथाई ,
      धिन पंचो री न्यात ।।

माल ठोके मोकळो ,  
 .वे फेर पेट पर हाथ ।
    मृत्युभोज करावे देखो , 
   .  धिन पंचो री न्यात ।।

खेत बिको चाहे घर बिको ,
  राखे अपणी बात
    बहियो माही ऊंठ मंडावे , 
      धिन पंचो री न्यात    

सांची कहुं तो दोरी लागे , 
  आ म्हारोङी बात ।
     कहे मेघ रिख रामचंद्र ,
        धिन पंचो री न्यात ।।

Popular posts from this blog

जोधपुर के मेहरानगढ़ किला में जीवित बलि राजाराम जी मेघवंशी (कड़ेला) ने दी।

सीआरपीएफ कमांडो नरपत जयपाल(मेगवाल)